नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) की वापसी के ऐलान से दो बड़े संदेश साफ तौर पर स्पष्ट हैं- पहला कि केंद्र सरकार के लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि है और दूसरा कि केंद्र सरकार ने किसानों की सुनी है. चाहे वह 2015 में लाया गया विवादित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश (Controversial Land Acquisition Ordinance) हो या फिर हालिया तीनों कृषि कानून… केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने न्यूज18 से बातचीत में ये बात कही है. बीजेपी के सूत्रों ने कह
सूत्रों ने कहा, ‘सरकार के पास इस बात के इनपुट थे कि राष्ट्रविरोधी ताकतें किसानों के आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश में हैं, जिन्हें खालिस्तान और पाकिस्तान के आईएसआई नेटवर्क का सपोर्ट है. वहीं प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि कोई भी भारत के रणनीतिक हितों को कमजोर नहीं कर सकता है और उन्हें ऐसा करने की छूट नहीं दी जा सकती है. साथ ही यह भी कि भारत की एकता और अखंडता के सामने कुछ भी मायने नहीं रखता है.’
बीजेपी को मिलेगा सियासी फायदा? कृषि कानूनों की ‘रणनीतिक वापसी’ बीजेपी को सियासी तौर पर लाभ दिला सकती है. पार्टी की कोशिश पंजाब के चुनावी खेल में वापसी की है, तो उत्तर प्रदेश में अपने किले को और मजबूत बनाने की है. यूपी के पश्चिमी इलाके में कृषि कानूनों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला है. पंजाब में बीजेपी के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ गठबंधन का रास्ता साफ हो गया है, जहां चुनावी तालमेल के लिए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने कृषि कानूनों की वापसी की पूर्व शर्त रख दी थी.
विपक्ष बता रहा अपनी जीत वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और जयंत चौधरी का राष्ट्रीय लोक दल कृषि कानून के मुद्दे पर पश्चिमी यूपी में किसानों को एकजुट करने में लगा हुआ है. बीजेपी को अब उम्मीद होगी कि उसने यूपी चुनाव में अपने खिलाफ दिख रहे सबसे बड़े मुद्दे को निपटा दिया है. अगले तीन महीनों से भी कम समय में पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होंगे. हालांकि विपक्ष कृषि कानूनों की वापसी को अपनी जीत के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहा है.
‘कानूनों की वापसी का सबसे ज्यादा दुख पीएम को’ सरकार के इनसाइडर्स की मानें तो प्रधानमंत्री ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा है और सरकार को यह भान था कि कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतें दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के एक साल से भी ज्यादा समय से चल रहे आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश में हैं. सरकार को यह महसूस हुआ कि स्थिति ऐसी है, जैसे कि हम राष्ट्र विरोधी ताकतों के हाथों खेल रहे हों, जोकि देश के ताने बाने और सामुदायिक स्तर पर भाईचारे की भावना को बिगाड़ना चाहता हैं. एक अधिकारी ने कहा, ‘तीनों कृषि कानूनों की व