45 सरकारी नौकरियां छोड़ीं, पापा के डर से फिल्मों का ऑफर ठुकराया, पढ़ें- एक पुलिस अफसर की कहानी

रायपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) के प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने वाली कोचिंग संस्थान के बाहर बैठे आशीष यादव कहते हैं- किसी का चयन 46 सरकारी नौकरियों में हो, इस बात का यकीन नहीं होता. पास में ही बैठे सौरभ कहते हैं- हमें एक नहीं मिल रही है और उसने 45 सरकारी नौकरियां (Goverment Job) छोड़ दी हैं. तभी वहीं मौजूद सतीश कहते हैं- 11 बार छत्तीसगढ़ पीएससी (Public service Commission) की परीक्षा भी पास की है, इंटरव्यू में फंस गया. दरअसल प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे ये य

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रायपुर में टाटीबंध से लगे मोहबा बाजार के मूलत: रहने वाले रमेश कुमार को मॉडलिंग का शौक था. साल 2000 में बॉडी बिल्डिंग में मिस्टर रायपुर और साल 2001 में छत्तीसगढ़ में तीसरा स्थान मिला था. छत्तीसगढ़ी फिल्मों में हीरो बनने का ऑफर आया, लेकिन पुलिस विभाग में आरक्षक पिता बीआर पुरेना नहीं चाहते थे कि वे ये काम करें. इसलिए उन्होंने पिता के डर से फिल्मों के ऑफर को ठुकरा दिया. रमेश न्यूज 18 से बातचीत में कहते हैं कि पापा चाहते थे कि मैं सरकारी नौकरी करूं और कोई दूसरी नौकरी नहीं. इसलिए मैंने मॉडलिंग पर ध्या

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46 सरकारी नौकरियों में चयन स्कूली शिक्षा की पढ़ाई में हमेशा औसत छात्र रहे रमेश बताते हैं कि साल 2000 से 2021 के बीच उनका चयन अलग-अलग 46 सरकारी नौकरियों (Sarkari Naukari) में हुआ. 7 बार आर्मी में जीडी के पद पर चयनित हुआ. लेकिन पापा कहते थे कि बड़े पद पर जाओ. इसलिए तैयारी जारी रखा. 46 में से 44 नौकरियों मैंने ज्वाइनिंग ही नहीं ली. साल 2003 में छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स (CAF) में चयनित हुआ तो वहां ज्वाइन किया, लेकिन साल 2009 में मैंने वो नौकरी छोड़ पीएससी की तैयारी पर ध्यान लगाया. 11 बार पीएससी मेंस

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इन नौकरियों में चयन के बाद भी ज्वाइन नहीं किया रमेश कुमार बताते हैं कि वर्ष 2010 में बीएसफ एसआई, 2011 में एसएससी ड्रग इंपेक्टर व सीआईएसफ एसआई के लिए चयन हुआ. इसी दौरान तीन बार पटवारी, दो बार सहायक संपरीक्षक और यूपीएससी असिस्टेंट कमांडेंट बीएसफ में भी चयनित हुए, लेकिन कहीं ज्वाइन नहीं किया. वर्ष 2012 में दिल्ली पुलिस एसआई, आरपीएफ एसआई प्रथम रैंक, सीआईएसएफ एसआई, सांख्यिकीय अंवेषक, बैंक क्लर्क, फूड इंपेक्टर, रेवेन्यू इंपेक्टर, एलआईसी सहायक प्रशासनिक अधिकारी व प्रोबेशनरी ऑफिर में चयन हुआ. बैंक पीओ

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अब बच्चों को दिखा रहे राह रमेश कुमार ने बताते हैं कि कोरिया पुलिस ‘राह’ योजना के तहत गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ ही फिजिकल ट्रेनिंग भी देती है. इन बच्चों की अलग-अलग स्कूलों में रमेश कुमार क्लास लेते हैं. थियोरी के साथ ही वे फिजिकल तैयारी भी बच्चों को करवाते हैं. अगल-अलग बैच में 300 से अधिक बच्चे नि:शुल्क शिक्षा राह के माध्यम से ले रहे हैं. रमेश का कहना है कि उन्हें बस्तर में बच्चों को पढ़ाने की ख्वाहिश है.